#इतिहास_ही_हमारी_धरोहर_है
अंग्रेजी में ' #THE_QUICK_BROWN_FOX_JUMPS_OVER_A_LAZY_DOG'एक #प्रसिद्ध वाक्य है।
जिसमें अंग्रेजी #वर्णमाला के सभी अक्षर #समाहित कर लिए गए हैं।
☝मज़ेदार बात यह कि #अँग्रेजी_वर्णमाला में कुल #26अक्षर उपलब्ध होते हैं। जबकि इस वाक्य में

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#33अक्षरों का प्रयोग किया गया है। जिसमें चार बार O और A,E,U तथा R अक्षर का प्रयोग क्रमशः 2-2 बार किया गया है।
☝इसके अलावा इस वाक्य में अक्षरों का क्रम भी सही नहीं है। जहां #वाक्य T से #शुरु होता है वहीं #G से खत्म हो रहा है।

अब आप सभी हमारी #संस्कृतभाषा के इस #श्लोक को पढ़िये:-
" #कःखगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोSटौठीडढण:।"
" #तथोदधीन_पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां_सह।।"
अर्थात: पक्षियों का प्रेम,शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत,शत्रु-संहारकों में अग्रणी,मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनार कौन??
राजा मय! जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले
हैं।
#श्लोक को ध्यान से पढ़ने पर आप पाते हैं की #संस्कृत_वर्णमाला के सभी #33व्यंजन इस #श्लोक में दिखाई दे रहे हैं वो भी #क्रमानुसार
यह खूबसूरती केवल और केवल #संस्कृत जैसी #समृद्धभाषा में ही देखने को मिल सकती है!

☝पूरे #विश्व में केवल एक #संस्कृत ही ऐसी भाषा है जिसमें केवल
*एक अक्षर* से ही पूरा #वाक्य लिखा जा सकता है। #किरातार्जुनीयम् #काव्यसंग्रह में केवल“न”व्यंजन से #अद्भुतश्लोक बनाया है और गजब का #कौशल्य प्रयोग करके #भारवि नामक #महाकवि ने थोडे में बहुत कहा है
"न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नानानना ननु।
"नुन्नोऽनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नुन्ननुन्ननुत्॥
अर्थात: जो मनुष्य युद्ध में अपने से दुर्बल मनुष्य के हाथों घायल हुआ है वह सच्चा मनुष्य नहीं है। ऐसे ही अपने से दुर्बल को घायल करता है वो भी मनुष्य नहीं है। घायल मनुष्य का स्वामी यदि घायल न हुआ हो तो ऐसे मनुष्य को घायल नहीं कहते और घायल मनुष्य को घायल करें वो भी मनुष्य नहीं है।
वंदेसंस्कृतम्!
☝एक और उदहारण है।
*दाददो दुद्द्दुद्दादि दादादो दुददीददोः*
*दुद्दादं दददे दुद्दे ददादददोऽददः*
अर्थात: दान देने वाले, खलों को उपताप देने वाले, शुद्धि देने वाले, दुष्ट्मर्दक भुजाओं वाले, दानी तथा अदानी दोनों को दान देने वाले, राक्षसों का खंडन करने वाले ने, शत्रु के
विरुद्ध शस्त्र को उठाया।

है ना खूबसूरत! इतना ही नहीं, क्या किसी भाषा में केवल *2 अक्षर* से पूरा वाक्य लिखा जा सकता है??
#संस्कृत_भाषा के अलावा किसी और भाषा में ये करना असंभव है।
#माघकवि ने #शिशुपालवधम्_महाकाव्य में केवल “भ” और “र ” दो ही अक्षरों से एक #श्लोक बनाया है। देखिये -
* #भूरिभिर्भारिभिर्भीराभूभारैरभिरेभिरे*
* #भेरीरे_भिभिरभ्राभैरभीरुभिरिभैरिभा:।*
अर्थात- निर्भय हाथी जो की भूमि पर भार स्वरूप लगता है, अपने वजन के चलते, जिसकी आवाज नगाड़े की तरह है और जो काले बादलों सा है, वह दूसरे दुश्मन हाथी पर आक्रमण कर रहा है।
☝एक और उदाहरण -
* #क्रोरारिकारी_कोरेककारक_कारिकाकर।*
* #कोरकाकारकरककःकरीर_कर्करोऽकर्रुक॥*
अर्थात-क्रूर शत्रुओं को नष्ट करने वाला, भूमि का एक कर्ता, दुष्टों को यातना देने वाला, कमलमुकुलवत, रमणीय हाथ वाला, हाथियों को फेंकने वाला, रण में कर्कश, सूर्य के समान तेजस्वी (था)।
पुनः क्या किसी भाषा मे केवल * #तीन_अक्षर* से ही पूरा #वाक्य लिखा जा सकता है??
यह भी #संस्कृत_भाषा के अलावा किसी और भाषा में असंभव है!
उदहारण -
*देवानां नन्दनो देवो नोदनो वेदनिंदिनां*
*दिवं दुदाव नादेन दाने दानवनंदिनः।।*

अर्थात - वह परमात्मा(विष्णु)जो दूसरे देवों को सुख प्रदान
करता है और जो वेदों को नहीं मानते उनको कष्ट प्रदान करता है।वह स्वर्ग को उस ध्वनि नाद से भर देता है, जिस तरह के नाद से उसने दानव(हिरण्यकशिपु)को मारा था।

अब इस छंद को ध्यान से देखें इसमें पहला चरण ही चारों चरणों में चार बार आवृत्त हुआ है,लेकिन अर्थ अलग-2 हैं, जो #यमक_अलंकार का
लक्षण है इसीलिए ये #महायमक संज्ञा का एक विशिष्ट उदाहरण है -
#विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा_विकाशमीयुर्जतीशमार्गणा:।
#विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा_विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा:॥
अर्थात - पृथ्वीपति अर्जुन के बाण विस्तार को प्राप्त होने लगे, जबकि शिवजी के बाण भंग होने लगे। राक्षसों के हंता प्रथम गण
विस्मित होने लगे तथा शिव का ध्यान करने वाले देवता एवं ऋषिगण(इसे देखने के लिए)पक्षियों के मार्गवाले आकाश-मंडल में एकत्र होने लगे।
जब हम कहते हैं की संस्कृत इस पूरी दुनिया की सभी प्राचीन भाषाओं की जननी है तो उसके पीछे इसी तरह के खूबसूरत तर्क होते हैं। यह विश्व की अकेली ऐसी भाषा है,
जिसमें "अभिधान-सार्थकता" मिलती है अर्थात् अमुक वस्तु की अमुक संज्ञा या नाम क्यों है, यह प्रायः सभी शब्दों में मिलता है।
जैसे इस विश्व का नाम संसार है तो इसलिये है क्यूँकि वह चलता रहता है, परिवर्तित होता रहता है-

#संसरतीति_संसारः_गच्छतीति_जगत्_आकर्षयतीति_कृष्णः
#रमन्ते_योगिनो_यस्मिन्_स_रामः_इत्यादि
जहाँ तक मुझे ज्ञान है विश्व की अन्य भाषाओं में ऐसी अभिधानसार्थकता नहीं है।
#Good का अर्थ #अच्छा, #भला, #सुंदर, #उत्तम, #प्रियदर्शन, #स्वस्थ आदि है।
किसी अंग्रेजी विद्वान् से पूछो कि ऐसा क्यों है तो वह कहेगा है बस पहले से ही इसके ये अर्थ हैं।
क्यों हैं वो ये नहीं बता पायेगा।
ऐसी #सरल और #समृद्ध_भाषा आज अपने ही देश में अपने ही लोगों में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रही है बेहद #चिंताजनक है।

#कश्मीराशाह_चतुर्वेदी_से_प्रेरित 🙏

#सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है
#सनातन_संस्कृति_सर्वश्रेष्ठ_है
#सनातन_संस्कार_सर्वश्रेष्ठ_है
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